ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन एक्सीडेंट में अब तक 300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी और लगभग 900 से ज्यादा लोगो गंभीर रूप से घायल हो गए. इस ट्रेन हादसे ने एक बार फिर से रेलवे की तकनीक और रेल मंत्रालय के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन्हें लेकर वो अपनी पीठ थपथपाती हैदरअसल भारतीय रेलवे कवच टेक्नोलॉजी के जरिए जीरो एक्सीडेंट के अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि जिस रूट पर यह भयानक एक्सीडेंट हुआ वहां पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी.क्या है रेलवे का Kavach प्रोटेक्शन सिस्टम?
कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था. उस वक्त इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था. इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था
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रेलवे का वो ‘कवच’ जो बचा सकती थीं सैकड़ों जानें? जानिए कैसे काम करता है ये सिस्टम?
ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन एक्सीडेंट में अब तक 300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी और लगभग 900 से ज्यादा लोगो गंभीर रूप से घायल हो गए. इस ट्रेन हादसे ने एक बार फिर से रेलवे की तकनीक और रेल मंत्रालय के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन्हें लेकर वो अपनी पीठ थपथपाती है.
दरअसल भारतीय रेलवे कवच टेक्नोलॉजी के जरिए जीरो एक्सीडेंट के अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि जिस रूट पर यह भयानक एक्सीडेंट हुआ वहां पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी.
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क्या है रेलवे का Kavach प्रोटेक्शन सिस्टम?
कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था. उस वक्त इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था. इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था. पिछले साल इसका लाइव डेमो भी दिखाया गया था.
कैसे काम करता है कवच सिस्टम
अगर कोई लोको पायलट यानी ट्रेन का ड्राइवर किसी सिग्नल को जंप करता है तो कवच सिस्टम एक्टिव हो जाता है. कवच सिस्टम के एक्टिव होते ही ट्रेन के पायलट को अलर्ट पहुंचता है. इतना ही नहीं कवच सिस्टम ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल भी ले लेता है. अगर कवच सिस्टम को यह पता चले की ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो वह पहली ट्रेन के मूवमेंट को भी रोक देता है.
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ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन एक्सीडेंट में अब तक 300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी और लगभग 900 से ज्यादा लोगो गंभीर रूप से घायल हो गए. इस ट्रेन हादसे ने एक बार फिर से रेलवे की तकनीक और रेल मंत्रालय के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन्हें लेकर वो अपनी पीठ थपथपाती है.
दरअसल भारतीय रेलवे कवच टेक्नोलॉजी के जरिए जीरो एक्सीडेंट के अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि जिस रूट पर यह भयानक एक्सीडेंट हुआ वहां पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी.
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क्या है रेलवे का Kavach प्रोटेक्शन सिस्टम?
कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था. उस वक्त इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था. इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था. पिछले साल इसका लाइव डेमो भी दिखाया गया था.
कैसे काम करता है कवच सिस्टम
अगर कोई लोको पायलट यानी ट्रेन का ड्राइवर किसी सिग्नल को जंप करता है तो कवच सिस्टम एक्टिव हो जाता है. कवच सिस्टम के एक्टिव होते ही ट्रेन के पायलट को अलर्ट पहुंचता है. इतना ही नहीं कवच सिस्टम ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल भी ले लेता है. अगर कवच सिस्टम को यह पता चले की ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो वह पहली ट्रेन के मूवमेंट को भी रोक देता है.
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ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन एक्सीडेंट में अब तक 300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी और लगभग 900 से ज्यादा लोगो गंभीर रूप से घायल हो गए. इस ट्रेन हादसे ने एक बार फिर से रेलवे की तकनीक और रेल मंत्रालय के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन्हें लेकर वो अपनी पीठ थपथपाती है.
दरअसल भारतीय रेलवे कवच टेक्नोलॉजी के जरिए जीरो एक्सीडेंट के अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि जिस रूट पर यह भयानक एक्सीडेंट हुआ वहां पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी.
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क्या है रेलवे का Kavach प्रोटेक्शन सिस्टम?
कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था. उस वक्त इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था. इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था. पिछले साल इसका लाइव डेमो भी दिखाया गया था.
कैसे काम करता है कवच सिस्टम
अगर कोई लोको पायलट यानी ट्रेन का ड्राइवर किसी सिग्नल को जंप करता है तो कवच सिस्टम एक्टिव हो जाता है. कवच सिस्टम के एक्टिव होते ही ट्रेन के पायलट को अलर्ट पहुंचता है. इतना ही नहीं कवच सिस्टम ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल भी ले लेता है. अगर कवच सिस्टम को यह पता चले की ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो वह पहली ट्रेन के मूवमेंट को भी रोक देता है.
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रेलवे का वो ‘कवच’ जो बचा सकती थीं सैकड़ों जानें? जानिए कैसे काम करता है ये सिस्टम?
ओडिशा के बालासोर में हुए भीषण ट्रेन एक्सीडेंट में अब तक 300 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी और लगभग 900 से ज्यादा लोगो गंभीर रूप से घायल हो गए. इस ट्रेन हादसे ने एक बार फिर से रेलवे की तकनीक और रेल मंत्रालय के उन दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन्हें लेकर वो अपनी पीठ थपथपाती है.
दरअसल भारतीय रेलवे कवच टेक्नोलॉजी के जरिए जीरो एक्सीडेंट के अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि जिस रूट पर यह भयानक एक्सीडेंट हुआ वहां पर कवच प्रणाली उपलब्ध नहीं थी.
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क्या है रेलवे का Kavach प्रोटेक्शन सिस्टम?
कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जिसे भारतीय रेलवे ने RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन) के जरिए विकसित किया है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था. उस वक्त इस प्रोजेक्ट का नाम Train Collision Avoidance System (TCAS) था. इस सिस्टम को विकसित करने के पीछे भारतीय रेलवे का उद्देश्य जीरो एक्सीडेंट का लक्ष्य हासिल करना है. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था. पिछले साल इसका लाइव डेमो भी दिखाया गया था.
कैसे काम करता है कवच सिस्टम
अगर कोई लोको पायलट यानी ट्रेन का ड्राइवर किसी सिग्नल को जंप करता है तो कवच सिस्टम एक्टिव हो जाता है. कवच सिस्टम के एक्टिव होते ही ट्रेन के पायलट को अलर्ट पहुंचता है. इतना ही नहीं कवच सिस्टम ट्रेन के ब्रेक्स का कंट्रोल भी ले लेता है. अगर कवच सिस्टम को यह पता चले की ट्रैक पर दूसरी ट्रेन आ रही है तो वह पहली ट्रेन के मूवमेंट को भी रोक देता है.