छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा श्वान आतंक पर स्वतःस्फूर्त संज्ञान लिया आवारा श्वान के आतंक और मानवों पर हमले (डॉग बाईट प्रकरण) के सम्बन्ध में।
विभिन्न जिलों से प्राप्त डॉग बाईट प्रकरण और वेक्सिनेशन
The Narad News 24,,,,,रायपुर- 06-08-2024, छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा श्वान आतंक पर स्वतःस्फूर्त संज्ञान लिया गया है। ज्ञात हो, नवम्बर 2023 को रायपुर से प्रकाशित एक समाचार पत्र में “इन जख्मों का गुनाहगार कौन” इस आशय की खबर प्रकाशित हुई थी। उक्त शीर्षक से प्रकाशित खबर के उपरांत आयोग द्वारा विगत वर्ष में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों का अध्ययन कर, प्रदेश के सभी शासकीय जिला अस्पतालों से श्वान काटने के प्रकरणों और उस पर किये जा रहे वेक्सिनेशन व ईलाज के संबंध में जानकारी आहूत की गई।
भारतीय मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 12 (ज) के तहत मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए रक्षोपायों के प्रति जागरूकता का संवर्धन करने का दायित्व, छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग का है। पालतू एवं आवारा श्वानों के काटने से कई आमजन जीएवन के अधिकार से वंचित हो जाते हैं, अनेक लोगों के स्वास्थ्य का अधिकार प्रभावित हुआ है, मनुष्य अल-सुबह या रात्रि में घरो से निकलने में भयभीत होते हैं। रास्ते में चलते श्वान भोंकते व काटते हैं, जिससे मानवाधिकारों का खुले आम उल्लंघन होता है, अस्तु उक्त स्वतःस्फूर्त प्रकरण में संज्ञान लेकर छत्तीसगढ़ राज्य मानव अधिकार आयोग द्वारा डॉग बाईट के प्रकरणों के संबंध में सम्पूर्ण प्रदेश के जिलों से आंकड़े बुलवाए गए हैं, आंकड़ों के आधार पर परिलक्षित होता है कि वर्ष भर में एक,लाख 19 हजार से अधिक आवारा/पालतू श्वान के काटने की घटनाएं प्रदेश में सामने आ रही हैं। डॉग बाईट के कारण शारीरिक और आर्थिक क्षति से बचा जा सके, इसके लिए अर्थात नागरिकों को इस गंभीर विषय से जागरुक कराया जाना आवश्यक है, प्राप्त आंकड़ों के आधार पर यह प्रतीत होता है, कि श्वान काटने पर शत-प्रतिशत एंटी रेबीज के टीके तो लग रहे हैं, परन्तु डॉग बाईट एक गंभीर विषय है एवं इसके कारण उत्पन्न होने वाली, मानवीय जीवन को संकटापन्न स्थिति में लाये जाने की घटनाएँ कम हो सकें, इसके लिए प्रत्येक स्तर पर जागरूकता जरुरी है। प्रदेश से प्राप्त डॉग बाइटिंग के यह आंकड़े जनमानस की जागरुकता के लिए आवश्यक हैं। पशुओं के प्रति कुरता निवारण अधिनियम, 1960 जिसमें निरंतर संशोधन होते रहे हैं, कि धारा 11 की उपधारा 1 के तहत पशुओं के प्रति यदि किसी व्यक्ति द्वारा क्रूरता की जाती है तो उसके संबंध में दंड का प्रावधान है, साथ ही इसी धारा के उपधारा 11 (ख) में आवारा कुत्तों में दुर्दात अथवा मानव जीवन के लिए खतरा होने की स्थिति में प्राणहर कक्षों में या अन्य ढंग से नष्ट किये जाने का भी उपबंध है। यह सामान्यतः पागल हो चुके श्वान पर लागू होता है।
नागरिकों का भी यह कर्तव्य है, जो आवारा श्वान को किसी भी स्थान पर भोज्य पदार्थ डाल देते हैं, इस विषय में जन चेतना आवश्यक है, ताकि छोटे बच्चे, बुजुर्ग व अन्य आम इंसान को श्वान क्षति न पहुंचाएं। इसमें यह देखना आवश्यक है, कि किसी भी क्षेत्र में हिंसक अथवा मानव जीवन के लिए खतरा बनने वाले श्वान की जानकारी तत्काल रहवासी सम्बंधित विभाग को दें, एवं इस पर विधिवत तत्काल कार्यवाही नियमान्तर्गत की जाना आवश्यक है।
सामान्यतः मानव जाति श्वान के प्रति पशु प्रेम को दर्शित करती है, और आज भी श्वान का पालन एक सामान्य बात है, परन्तु वर्तमान में सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य में 1,19,928 डॉग बाईट के प्रकरण एक वर्ष में पंजीबद्ध हुए हैं। जो कि श्वान काटने के द्वारा मानव जीवन के संकट की भयावह स्थिति को बतलाता है। डॉग बाईट से 6 इंजेक्शन एक व्यक्ति को लगाना होता है, इसमें डॉक्टर के अनुसार लगभग 7 लाख मानव दिवस की हानि और आर्थिक नुक्सान समाज को उठाना पड़ता है।