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जयपुर में बिना बड़ा चीरा लगाए लिवर ट्रांसप्लांट हुआ:डॉक्टर्स का दावा

THE NARAD NEWS24………………………जयपुर के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में पहली बार लेप्रोस्कोपी (दूरबीन) से लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। हॉस्पिटल के डॉक्टरों का दावा है कि ये राजस्थान में पहला केस है। जब लिवर ट्रांसप्लांट में डोनर का लिवर दूरबीन से ऑपरेट करके निकाला गया। इसके लिए बड़ा चीरा लगाने की भी जरूरत नहीं पड़ी। अभी तक ऐसे केस केवल मुंबई, चेन्नई में ही हुए हैं।

हॉस्पिटल के सीनियर डॉक्टर राजेश भोजवानी ने बताया- जयपुर की रहने वाले विजय (60) को सिरोसिस नाम की बीमारी थी। पेट दर्द से परेशान थे। वह हॉस्पिटल दिखाने आए। उनकी जांच करवाई तो पता चला की उसका लिवर डेमेज हो गया था। इसके बाद मरीज के परिवार को लिवर ट्रांसप्लांट काउंसिलिंग के लिए परामर्श दिया। मरीज की 24 साल की बेटी लिवर देने पर सहमत हुई।

डोनर के लिवर के 55 फीसदी हिस्से को काटकर अलग किया गया।
डोनर के लिवर के 55 फीसदी हिस्से को काटकर अलग किया गया।

डॉक्टरों ने बताया- इस पूरे ऑपरेशन में खर्चा सामान्य सर्जरी के बराबर आता है। लेप्रोस्कोपी से सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि डोनर के ऑपरेशन के बाद होने वाला इंफेक्शन कम हो जाता है। साथ ही रिकवरी भी तेज से होती। ब्लड लॉस भी बहुत कम होता है।

चीरे के डर के कारण दूरबीन से ऑपरेशन का निर्णय
हॉस्पिटल के डॉ. सुभाष मिश्रा ने बताया- डोनर बेटी को पेट में बड़ा चीरा लगने और अन्य परेशानी का डर सता रहा था। क्योंकि लिवर निकालने के लिए 7 से 10 सेमी. लंबा चीरा लगाया जाता है। इससे मरीज के ब्लीडिंग ज्यादा होती है। वहीं, ऑपरेशन के बाद मरीज को रिकवर होने में 7-8 दिन का समय लगता है। इसे देखते हुए हमने ये ऑपरेशन दूरबीन से करने का निर्णय किया।

10 से ज्यादा डॉक्टरों की टीम के सहयोग से ऑपरेशन किया गया।
10 से ज्यादा डॉक्टरों की टीम के सहयोग से ऑपरेशन किया गया।

5 छेद करके निकाला 55 फीसदी लिवर का हिस्सा
डॉक्टर भेजवानी ने बताया- दूरबीन से ऑपरेशन के लिए हमने मरीज के शरीर पर 5 छेद किए। इन छेद में हमने पहले लिवर के 55 फीसदी हिस्से को काटकर अलग किया। इसके बाद उसे उन्हीं छेद से बाहर निकाला। बाहर निकालकर रिसीवर के लीवर जोड़ने की प्रक्रिया की गई। डॉक्टर ने बताया- इस पूरे ऑपरेशन में 8 घंटे का समय लगा। 10 से ज्यादा डॉक्टरों की टीम में सहयोग दिया।

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