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रायपुर के जैतूसाव मठ आए थे गांधीजी, उनकी याद में लगी प्रतिमा, बना है गांधी हाल

THE NARAD NEWS24…………………………राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार रायपुर में 103 साल पहले 1920 में पधारे थे, इसके पश्चात 90 साल पहले 1933 में भी आए थे। दो बार छत्तीसगढ़ में प्रवास के दौरान गांधीजी ने दुर्ग, धमतरी, बिलासपुर का दौरा करके देशभक्ति की अलख जगाई थी।

गांधीजी की यादों को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए राजधानी के जैतूसाव मठ में गांधीजी की प्रतिमा और गांधी हाल का निर्माण किया गया। इसके अलावा जिस आनंद वाचनालय के मैदान में गांधीजी ने भाषण दिया था, उस वाचनालय में भी गांधीजी की यादें जुड़ी हैं।
कंडेल नहर सत्याग्रह में आए
इतिहासकार डा.रमेंद्रनाथ मिश्र बताते हैं कि लिखित दस्तावेजों के अनुसार दिसंबर 1920 में धमतरी-कुरुद के समीप कंडेल नहर जल सत्याग्रह के दौरान गांधीजी ने प्रदेशभर में देशभक्ति की अलख जगाई थी। कंडेल गांव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी छोटेलाल श्रीवास्तव के नेतृत्व में किसानों ने आंदोलन किया था। अंग्रेजों ने किसानों पर नहर से पानी चुराने का आरोप लगाकर सिंचाई कर (टैक्स) वसूलने का अत्याचार किया थावास्तव में खेतों में बारिश का पानी भरा था। किसानों का कहना था कि वे कर (टैक्स) किस बात का दें। इसके बाद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व.सुंदरलाल शर्मा महात्मा गांधी को लेने कोलकाता रवाना हुए थे और 20 दिसंबर को रायपुर लेकर पहुंचे थे।
जैतूसाव मठ के कुएं से हरिजन बालिका के हाथों पिया पानी
इसके अलावा पुरानी बस्ती के प्रसिद्ध जैतूसाव मठ में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पं.रविशंकर शुक्ल, सुंदरलाल शर्मा जैसी हस्तियों के साथ गांधीजी ने बैठक लेकर आजादी के लिए शांति प्रिय आंदोलन को आगे बढ़ाया था। उस दौरान छुआछूत की भावना खत्म करने के लिए एक हरिजन बालिका के हाथों करीब के कुएं से जल निकलवाकर स्वयं पीया और दूसरों को भी पिलवाया था।
साथ ही ऊंच-नीच, जाति-पाति का भेद समाप्त करने का संदेश दिया था। वर्तमान में भी यह कुआं विद्यमान है और गांधीजी की यादों को बनाए रखने के लिए चरखा चलाते हुए गांधीजी की कांस्य प्रतिमा दो साल पहले स्थापित की गई है। यहां एक सभा भवन भी बनाया गया है, जिसे गांधी सभा भवन कहा जाता है।
भवन कहा जाता है।

आनंद समाज बाल वाचनालय

डा. मिश्र बताते हैं कि महात्मा गांधी ने कंकाली मंदिर के ठीक सामने स्थित आनंद वाचनालय के छोटे से मैदान में जनसभा ली थी। वर्तमान में इस वाचनालय का नवीनीकरण किया जा चुका है। यहां गांधीजी के जीवन से संबंधित साहित्यों को पढ़ा जा सकता है। इसके अलावा राजकुमार कालेज, वर्तमान सप्रे स्कूल जो पहले लारी स्कूल के नाम से प्रसिद्ध था, वहां भी गांधीजी ने सभा ली थी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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