रानी अहिल्याबाई होलकर जी की 300वीं जयंती के पूर्व महाराष्ट्र मंडल रायपुर द्वारा श्रद्धा, इतिहास और प्रेरणा का भव्य संगम ,,, विधायक पुरंदर मिश्रा
नारी शक्ति, सुशासन और संस्कृति का संगम बनी रानी अहिल्याबाई की जयंती

The Narad News 24,,,,,रायपुर। पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होलकर जी की 300वीं जयंती के पूर्व महाराष्ट्र मंडल रायपुर द्वारा एक भव्य समारोह और वृत्तचित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह आयोजन शंकर नगर सेक्टर-1 स्थित महाराष्ट्र मंडल उद्यान में जनसमूह की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में रायपुर उत्तर विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री पुरंदर मिश्रा जी ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया और अपने वक्तव्य में रानी अहिल्याबाई के जीवन को नारी सशक्तिकरण का आदर्श बताया।
*रानी अहिल्याबाई होलकर: प्रेरणा की जीवंत प्रतिमा*
समारोह में रानी साहेब के जीवन, कार्य और योगदान पर आधारित वृत्तचित्र प्रदर्शित किया गया। वक्ताओं ने बताया कि रानी अहिल्याबाई भारतीय संस्कृति, सेवा, और शासन की प्रतीक थीं। उनके द्वारा देशभर में बनवाए गए मंदिर, घाट, कुएँ और धर्मशालाएं आज भी उनकी दूरदृष्टि और सेवा भाव की साक्षी हैं।
*समाजसेवा और सुशासन की मिसाल*
उनके शासन में न्याय, शिक्षा, महिला कल्याण और कृषि विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता मिली। वक्ताओं ने बताया कि उन्होंने शासन को सेवा का माध्यम बनाया और हर वर्ग को साथ लेकर चलने की नीति अपनाई।
*उपस्थित गणमान्य अतिथि एवं कार्यकर्ता*
इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, कार्यकर्ता, महिलाएं और युवा उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से उपस्थित रहे: राम प्रजापति, प्रमोद साहू, कैलाश बेहरा, राजेश गुप्ता, ज्ञानचंद चौधरी, सुनील चौधरी, विपिन पटेल, संजय कश्यप, अनूप खेलकर, नरेंद्र निर्मलकर, प्रकाश सिन्हा, दिलीप धनकर, रामदास मानिकपुरी, आकाश तिवारी, गणेश निर्मलकर, मिलेश नायक, शब्बीर भाई, उपेन्द्र जगत, सूरज निर्मलकर, रमेश निषाद, चंद्र प्रकाश प्रजापति, भरत बया, खेमा सागर, जय डे, सुधीर चौबे, हरिवंश वर्मा, अजगर जी, ठाकुर जी, मीना सेन, सीमा सागर, लता जगत, आरती साहू, अकबर अली, गायत्री चंद्राकर, अनूप वर्मा।
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। आयोजकों ने इस आयोजन को नारी सशक्तिकरण, सेवा और संस्कृति के मूल्यों की पुनर्पुष्टि का उत्सव बताया।
“रानी अहिल्याबाई न केवल होलकर वंश की गौरव थीं, बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष की सांस्कृतिक चेतना की पुजारिन थीं।”