नसीरुद्दीन शाह-अकबर ने कभी नया धर्म शुरू करने की कोशिश नहीं की
दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह इन दिनों ‘Taj-Devided By Rule’ को लेकर सुर्खियों में हैं। इसी बीच वह मुगलों के इतिहास पर भी तमाम बयान दे चुके हैं। जिनके लिए उनपर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा कि मुगलों को लेकर गलत बातें फैलाई गई हैं। अकबर के शासन को भी गलत तरीके से पेश किया गया है। इसके अलावा उन्होंने अकबर द्वारा नया धर्म शुरू करने पर भी बात की। उनका कहना है कि ये सब बकवास है। अकबर कोई नया धर्म शुरू नहीं करना चाहते थे। अपना धर्म-दीन-ए-इलाही शुरू करना चाहता था।नया धर्म शुरू नहीं करना चाहते थे अकबर
बता दें कि इससे पहले इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए शाह ने इतिहास के बारे में काफी कुछ कहा। शाह ने कहा कि अकबर की जो तस्वीरें खींची गई वह हमेशा एक परोपकारी, दयालु, व्यापक विचारों वाले, प्रगतिशील शासक की थी। कहा जाता है कि वह एक नया धर्म शुरू करना चाहते थे। हम इसके बारे में इतिहास की किताबों में पढ़ते हैं, जो बिल्कुल बकवास है। उन्होंने कहा,”मैंने आधिकारिक इतिहासकारों से इसकी जांच की है और अकबर ने कभी भी एक नया धर्म शुरू करने का प्रयास नहीं किया। यह एक ऐसा तथ्य है जो हमारे इतिहास की किताबों में दीन-ए इलाही कहलाता है, जिसका मतलब है जिसका अर्थ है निर्माता की एकता।”शाह ने आगे कहा,”आप एक पत्थर की पूजा कर सकते हैं, आप एक सूली की पूजा कर सकते हैं, आप काबा को अपना सिर झुका सकते हैं, आप उगते सूरज की पूजा कर सकते हैं और जो चाहें कर सकते हैं, लेकिन आप एक ही चीज की पूजा कर रहे हैं। ऐसा उनका विश्वास था। मुझे यही पता चला है।”मुगलों ने कुछ नहीं बिगाड़ा
उन्होंने कहा कि लोगों का मानना है देश के साथ जो गलत हुआ वह मुगलों ने किया है। शाह ने कहा कि उन्हें इस बात से हैरानी होती है, ये बहुत ही हंसी की बात है। उन्होंने कहा था,”ये मुझे हैरान करता है, क्योंकि यह बहुत ही हास्यास्पद है। मेरा मतलब है, लोग अकबर और नादिर शाह या बाबर के परदादा तैमूर जैसे जानलेवा आक्रमणकारी के बीच अंतर नहीं बता सकते।”मुगलों को हमारी अपनी स्वदेशी परंपराओं की कीमत पर महिमामंडित किया गया है। शायद यह सच है लेकिन उन्हें खलनायक बनाने की भी जरूरत नहीं है। शाह ने कहा कि अगर मुगल साम्राज्य इतना ही खराब था तो इसका विरोध करने वाले उनकी बनाई गए स्मारकों को गिरा क्यों नहीं देते।