क्राइमछत्तीसगढ़

सुप्रीम कोर्ट से कहा- लोगों के जरूरी डॉक्यूमेंट फिर से जारी हों, मुआवजा योजना अपडेट करें:मणिपुर हिंसा पर महिला जज कमेटी ने 3 रिपोर्ट सौंपीं

आदिवासी एकता समिति ने 20 अगस्त को हिंसा और हत्याओं के विरोध में रैली निकाली और NH-2 पर प्रदर्शन किया।

THA NARAD NEWS24 …………….. मणिपुर हिंसा को लेकर जस्टिस गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति ने तीन रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में सौंपी हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते पहले 7 अगस्त की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के 3 जजों की कमेटी बनाने का निर्देश दिया था।

रिपोर्ट पेश करने के बाद जस्टिस मित्तल ने कोर्ट से कहा कि मणिपुर में लोगों ने अपने जरूरी दस्तावेज खो दिए हैं, उन्हें दोबारा जारी करने की जरूरत है। साथ ही मुआवजा योजना में बदलाव किए जा सकते हैं।मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।

महिला जजों की कमेटी में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रहीं गीता मित्तल हेड थीं, उनके साथ दो अन्य सदस्य जस्टिस (रिटायर्ड) शालिनी पी जोशी और जस्टिस (रिटायर्ड) आशा मेनन ने मणिपुर में राहत और पुनर्वास पर रिपोर्ट तैयार की।

CJI बोले- रिपोर्ट्स की कॉपी केस से जुड़े वकीलों को दी जाएगी
सोमवार को CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने रिपोर्ट मिलने के बाद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मदद मांगी। इसके बाद कहा कि इन रिपोर्ट्स की कॉपी केस से जुड़े वकीलों को दी जाएगी, ताकि वे अपने सुझाव बता सकें।

कोर्ट रूम LIVE…

CJI डीवाई चंद्रचूड़: तीन रिपोर्टें आई हैं- एक रिपोर्ट जिसमें बताया गया है कि मणिपुर के कई नागरिकों ने महत्वपूर्ण दस्तावेज खो दिए हैं। दूसरी मणिपुर पीड़ित मुआवजा योजना को अपडेट किया जा सकता है। तीसरी रिपोर्ट में डोमेन विशेषज्ञों की नियुक्ति के लिए समिति का प्रस्ताव है। तीन रिपोर्टों की कॉपी वकीलों को दी जाएगी, वे सुझावों पर गुरुवार तक अपनी राय बताएं।

एडवोकेट इंदिरा जय सिंह : कोर्ट को आदेश देना चाहिए कि कमेटी जो भी काम कर रही है, उसकी फंडिंग केंद्र सरकार करे। कमेटी का अपना अधिकारी हो, ताकि जानकारियां आगे बढ़ाई जा सकें और समिति से जुड़ी कोई गलत इन्फॉर्मेशन न दी जाए।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ : इस मामले में कुछ निर्देश दिए जाने की जरूरत है, जिसमें प्रशासन, फंडिंग, वर्क पोर्टल बनाकर उसका प्रचार और अन्य बुनियादी चीजों पर फोकस हो। कमेटी के सुझावों पर जवाबों को वृंदा ग्रोवर समिति के साथ चर्चा करके इकट्‌ठा कर सकती हैं। इसे गुरुवार सुबह मणिपुर के महाधिवक्ता के साथ शेयर किया जाएगा।

इंदिरा जय सिंह : राहत को केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता। कमेटी इस मामले में बहुत स्पष्ट नहीं थी, इसलिए इसका स्पष्टीकरण किया जा सकता है।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ : हालांकि तीनों जज महिलाएं हैं, लेकिन वे पहले जज हैं।

SG मेहता : बहुत स्पष्ट है और कमेटी भी इसे समझती है। इसलिए किसी स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं है।

मणिपुर में एक पेड़ पर लगा साइनबोर्ड- जिसमें लिखा है- BJP की एंट्री बैन है। वो हमारे गांव और देश के लिए ठीक नहीं हैं। यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल है।

सुप्रीम कोर्ट हिंसा से जुड़ी 11 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा
मणिपुर हिंसा मामले में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच सुनवाई कर रही है। केंद्र सरकार के मुताबिक 6,523 FIR में से 11 शिकायतें महिलाओं और बच्चों की हिंसा से जुड़ी हैं। सुप्रीम कोर्ट की बेंच मणिपुर हिंसा से जुड़ी 10 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

42 SIT जांच कर रहीं, CBI के पास 20 केस
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मणिपुर में हिंसा से जुड़े मामलों की 42 स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) जांच कर रही हैं। मणिपुर पुलिस ने अब तक 20 केस CBI को सौंप दिए हैं। इनमें दो मामले प्रमुख हैं, पहला- 7 साल के बच्चे को उसकी मां और मौसी समेत एंबुलेंस में जला देने का और दूसरा- एक मैतेई महिला से 3 मई को हुए रेप केस का।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के 3 जजों की कमेटी मणिपुर में जाकर राहत और पुनर्वास का काम देखेगी। कोर्ट ने ये भी कहा कि ऐसी कोशिशें की जानी चाहिए, ताकि राज्य के लोगों में विश्वास और कानून के शासन में भरोसा लौट सके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मणिपुर में कानून-व्यवस्था नहीं बची

मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने के केस में 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की जांच को सुस्त बताया। कोर्ट ने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। कोर्ट ने हैरानी जताई कि राज्य की जातीय हिंसा में लगभग 3 महीने तक FIR ही दर्ज नहीं की गई

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