मंत्री केदार कश्यप वनों और वन्य जीवों के संरक्षण में जनजाति समाज की अहम भूमिका: मंत्री केदार कश्यप
Minister Kedar Kashyap Important role of tribal society in conservation of forests and wildlife: Minister Kedar Kashyap
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The narad news 24,,,,,रायपुर (। वनों में रहने वाले जनजाति समुदाय ने कभी भी वनों को हानि नहीं पहुंचाई। वनों पर आधारित जीवन होने के बावजूद सीमित संसाधनों में हमारे पूर्वज जीवनयापन करते आये हैं। हमारे वनवासी और जनजाति समुदाय के लोगों ने वनों को सहेजने का कार्य किया है। प्रत्येक जनजाति समाज के घर-बाड़ी में हमें 20-25 अलग-अलग पेड़ पौधे अवश्य मिलेंगे। जनजाति समाज का प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम है। यह बात वन मंत्री केदार कश्यप ने नवा रायपुर स्थित अरण्य भवन में छत्तीसगढ़ बायो डायवर्सिटी बोर्ड एवं सेवावर्धिनी छत्तीसगढ़ के द्वारा ‘जनजाति क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण एवं संवर्धन’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही।
मंत्री कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 80 प्रतिशत से अधिक जैव विविधता पाई जाती है, जो पूरे देश में कहीं भी नहीं पाई जाती है। 32 प्रतिशत जनजातीय आबादी के साथ इस राज्य का 44 प्रतिशत हिस्सा वनों से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है। जो अद्वितीय आदिवासी कला, शिल्प और परंपराओं की खोज करना चाहते हैं। सदियों से इसके आदिवासी समुदायों ने पर्यावरण की अनुकूल प्रथाओं के माध्यम से प्राकृतिक आवास को पोषित एवं संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई है। छत्तीसगढ़ में पर्यटकों को कला और वास्तुकला, विरासत, हस्तशिल्प, व्यंजन, मेले एवं त्योहार जैसा बहुत कुछ देखने को मिलता है।
मंत्री कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ का उल्लेख अनेक कथाओं में मिलता है, जिनमें भारत के दो महान महाकाव्य रामायण एवं महाभारत भी शामिल हैं। भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात चित्रकोट भी इसी राज्य में है। मानसून में जब इंद्रावती नदी पूरे प्रवाह में होती है, तब बस्तर जिले में स्थित यह जलप्रपात 980 फुट चौड़ा हो जाता है। छत्तीसगढ़ में देवी-देवताओं और कई मंदिरों की विरासत है। बैकुंठपुर कोरिया के हसदेव नदी तट पर 28 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवाश्म को संरक्षित करने फॉसिल पार्क बनाया गया।