एग्जिट पोल ने बढ़ाई धड़कनें, मुखिया कौन होगा? कल होगा फाइनल
एक तरफ कका तो दूसरी तरफ बाबा? सीएम पद को लेकर भी दिलचस्प हुआ समीकरण,
The Narad News 24,,,,,,,…रायपुर। 03 दिसंबर को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे , जहां दो चरणों में वोटिंग हुई थी। गुरुवार को मतदान होने के बाद से पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर एग्जिट पोल आने शुरू हो गए। गौरतलब है कि मिजोरम में 07 नवंबर, छत्तीसगढ़ में दो चरणों में 07 नवंबर और 17 नवंबर, मध्य प्रदेश में 17 नवंबर, राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान कराए जा चुके हैं। रिजल्ट 03 दिसंबर घोषित होंगे।
छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीट हैं, जिसके लिए 46 सीटों के साथ सरकार बनाया जाएगा। पिछली बार की अपेक्षाकृत इस बार छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को कांटे की टक्कर मिल रही है। यहां कांग्रेस को 52 सीटें तो वहीं भाजपा को 34 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है, वहीं 4 अन्य को मिलने का अनुमान है। इस बार आम आदमी पार्टी ने भी ज़ोर आजमाइश की है किंतु अंतिम समय में जिस तरह से टिकट वितरण किया गया, वो कई सवालों को जन्म दे गया। बसपा, गोंडवाना गणतंत्र और सर्व आदिवासी समाज मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्व अजीत जोगी की जनता कांग्रेस (जे) पार्टी के टिकट वितरण को लेकर भी कई तरह की चर्चाएं आम हैं। समाजवादी पार्टी ने भी मरियल सी दस्तक दी है। यानि कि क्षेत्रीय पार्टियों का जो जनाधार बना भी था, उसे भी इन पार्टियों की प्रदेश इकाई ने, लगभग समाप्त कर लिया है।
जोगी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से लोगों को काफी अधिक आशाएं पैदा हो गई थी किंतु पौने पांच सालों तक हल्ला गुल्ला मचाने के बावजूद भी अंतिम समय में इन क्षेत्रीय पार्टियों ने अजीबो गरीब टिकट वितरण करके अपने प्रत्याशियों तक को आश्चर्य चकित कर दिया। बेचारे ना घर के हुए, ना ही घाट के। जबकि बीते एक डेढ़ सालों के दौरान इन क्षेत्रीय पार्टियों ने अच्छा खासा एक माहौल तैयार कर लिया था, जिसका सदुपयोग कर क्षेत्रीय पार्टियां अपना अस्तित्व मजबूत कर सकती थी। लेकिन भारत देश में क्षेत्रीय पार्टियों का दुर्भाग्य रहा है या फिर शायद देशवासियों का, कि जब जब भी इन क्षेत्रीय पार्टियों को सुअवसर मिलने वाला होता है, ऐन ऐसे समय में पूरा लीपापोती कर सारी मेहनत पर पानी फेर देते हैं। आम आदमी पार्टी ने लगातार दूसरी बार ऐसा टिकट वितरण किया है कि अबोध बालक और नाबालिग भी सन्न रह गए। मफलरमैन की पार्टी को प्रदेश के लोगों ने दोनों बार समर्थन देने का प्रयास किया मगर पार्टी ने ही खुद से गुड़ गोबर कर लिया। अजीत जोगी के जाने के बाद से ही लोगों को आभास हो गया था कि अब पार्टी नाम मात्र की शेष रह जाएगी, हुआ भी वैसा ही। इस विधानसभा चुनाव के बाद शायद यह पार्टी इतिहास बनकर रह जाएगी। जिस पुत्रमोह में अजीत जोगी ने कांग्रेस का साथ छोड़कर नई पार्टी का गठन किया था, उसी पुत्र ने इस पार्टी को लगभग समाप्त ही कर दिया है। अब तो मात्र औपचारिकता शेष रह गई है। यही हाल गोंडवाना गणतंत्र जैसी पार्टी का भी होता दिखाई दे रहा है, तो वहीं सर्व आदिवासी समाज पार्टी ने भी खुद से खुद के वजूद को शून्य कर दिया है।
बसपा और सपा, जब यूपी में साफ होने की कगार पहुंच चुकी है तो छत्तीसगढ़ में कौन सा तीर मारने की स्थिति बना पाती। सपा तो पहले से ही शून्य थी मगर इस बार बसपा ने भी खुद के पर कतर लिए। छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना, शिवसेना जैसे दलों ने विवादों का इतना अधिक बोझ लाद लिया है कि खुद के बनाए दलदल में ही डूबती जा रही है। एक हिसाब से देखा जाए तो मेन स्ट्रीम में कांग्रेस और भाजपा ही शेष बचे हैं, जिनके मध्य चुनावी खींचतान चल रही है। जिसके नतीजे 03 दिसंबर को आएंगे। वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर नया राज्य बना। प्रथम बार कांग्रेस के हाथों सत्ता आई, अजीत जोगी प्रथम मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2003 में प्रथम विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत हासिल हुआ, जिसके बाद से क्रमशः 2008 और 2013 में भी भाजपा सत्ता पर काबिज़ रही। वर्ष 2018 के चुनाव में बड़ा परिवर्तन हुआ और पुनः से एक बार कांग्रेस ने वापसी की। पंद्रह सालों तक सत्ता में रहने वाली भाजपा 14 सीटों पर सिमट गई। अब वर्तमान 2023 के विधानसभा के मतदान पूर्ण होने के बाद मतगणना होनी है, जिसके बाद घोषित होगा कि इस बार सत्ता किस पार्टी के हाथों में जायेगी। हालांकि मतगणना के एक दिन पहले एग्जिट पोल आया है, जिसमें लगभग सभी के एग्जिट पोल स्पष्ट कर रहे कि कांग्रेस को पुनः से सत्ता मिलेगी, वहीं इस बार विपक्ष भी काफी अधिक मजबूत स्थिति में होगा। वहीं क्षेत्रीय पार्टियों की स्थिति इस बार भी कोई खास असर डालती नहीं दिखाई दे रही है। कांग्रेस की सत्ता आने के साथ ही मुख्यमंत्री दावेदार को लेकर जरूर तमाम तरह की चर्चाएं प्रदेश भर में फैली हुई है। साथ ही एक नया समीकरण भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकर लोगों का कहना है कि इस बार कांग्रेस अधिक सीटें जीतने के बाद भी सरकार नहीं बना पाएगी बल्कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री को लेकर उपजे विवाद के चलते ही अगर सरगुजा के महाराज को इस बार मुखिया की जिम्मेदारी उन्हें नहीं दी गई तो वह भी मध्य प्रदेश में ग्वालियर नरेश वाली भूमिका में आ सकते हैं और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। ऐसे में भाजपा की ओर से सरकार बनाने में अगर मददगार साबित हुए तो सरगुजा महाराज को मुखिया की पदवी मिलने से कोई रोक नहीं सकता। क्योंकि कांग्रेस में ढाई ढाई साल के एक अनौपचारिक समझौते को लेकर कका को मुखिया बनाया गया। किंतु ढाई साल बीतने के बाद कका ने अपना स्थान नहीं छोड़ा, जिसके बाद कका और बाबा के बीच अंदरूनी द्वंद अंतिम समय तक जारी रहा। अब चुनाव के बाद सबसे अधिक चर्चा इसी को लेकर है कि अगर कांग्रेस पुनः बहुमत हासिल करने में कामयाब होती है तो मुखिया कौन होगा? एक तरफ कका तो दूसरी तरफ बाबा? आलाकमान इस बार किसको मुखिया पद पर बैठाएगा, यह अभी कोई नहीं कह सकता है।
इंडिया टुडे माय एक्सिस इंडिया के एग्जिट पोल में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 50, भाजपा 36 और अन्य को 4 सीटें दी हैं। राज्य में कुल 90 सीटें हैं। यहां बहुमत का आंकड़ा 46 है।
जन की बात के एग्जिट पोल में भी छत्तीसगढ़ में कांटे की टक्कर होगी। कांग्रेस को 53, भाजपा को 34, अन्य को 03 सीटें मिलने का अनुमान है।
इंडिया टीवी सीएनएक्स के एग्जिट पोल अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 56 सीटें मिलने का अनुमान है। भाजपा को 30 सीटें मिलने का अनुमान है। अन्य को 04 सीटें मिलेंगी।
आज तक और एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल अनुमान के आधार पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के खाते में 50 सीटें आने का अनुमान लगाया गया है, भाजपा को 36 सीटें मिलने का अनुमान है। अन्य और निर्दलीय के हिस्से में 4 सीटें जा सकती हैं।
सी वोटर एग्जिट पोल के अनुसार छत्तीसगढ़ में कांग्रेस 53 और भाजपा को 36 तथा अन्य को 1 सीट का अनुमान है।
प्रदेश में मतदान की स्थिति
छत्तीसगढ़ में प्रतिशत 76.31 फीसदी रहा जो साल 2018 के मुकाबले (76.88) मामूली नीचे था। यहां फेज-1 में 20 सीटों पर चुनाव हुए थे, तो वहीं फेज 2 में बाकी बची 70 सीटों पर वोटिंग हुई थी। चुनाव के नतीजों से पहले सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी पार्टी भाजपा दोनों में हलचल है। छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटे हैं, इनमें कांग्रेस का दावा है कि वह 75 सीटें जीतेगी। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा में कांटे की टक्कर मिल रही है। यहां कांग्रेस को 40-50 सीटें मिलने का अनुमान है। तो वहीं भाजपा को 36 से 46 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। बता दें कि यहां 7 व 17 नवंबर को वोटिंग हुई थी। छत्तीसगढ़ में 90 सीटों पर वोटिंग हुई थीं। 3 दिसंबर को परिणाम आएंगे।
तीन दिसंबर को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने हैं। इन चुनावी राज्यों में एक प्रदेश छत्तीसगढ़ भी है, जहां दो चरणों में वोटिंग हुई थी। वहां वोट प्रतिशत 76.31 फीसदी रहा जो साल 2018 के मुकाबले (76.88) मामूली नीचे था। यहां फेज-1 में 20 सीटों पर चुनाव हुए थे, तो वहीं फेज 2 में बाकी बची 70 सीटों पर वोटिंग हुई थी। चुनाव के नतीजों से पहले सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी पार्टी भाजपा दोनों में हलचल है। छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटे हैं, इनमें कांग्रेस का दावा है कि वह 75 सीटें जीतेगी।