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छत्तीसगढ़ में बायोमेट्रिक धान खरीदी मुश्किल:CM भूपेश बोले – धमकी दे रहा केन्द्र, किसानों से दुश्मनी निकाल रही बीजेपी

THE NARAD NEWS24………………………………………………………छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू होने वाली है। जिसे लेकर केन्द्र सरकार ने धान खरीदी में बायोमेट्रिक प्रणाली को अनिवार्य कर दिया है। केन्द्र ने ये भी कहा है कि जिस राज्य में भी बायोमेट्रिक व्यवस्था नहीं की जाती तब उस स्थिति में वहां से चावल नहीं खरीदा जाएगा। जिसे प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अव्यवहारिक बताया है। सीएम ने इस मामले में निशाना साधते हुए कहा है कि बीजेपी किसानों से दुश्मनी निकाल रही है। उन्होंने कहा कि यहां की भौगोलिक स्थिति बायोमेट्रिक के हिसाब से नहीं है क्योंकि दूरस्थ अंचलों में जंगलों में वहां बायोमेट्रिक खरीदी के दौरान सर्वर डाउन होने पर किसान परेशान हो जाएंगे। जिसे लेकर उन्होंने भारत सरकार को पत्र भी लिखा है कि ये व्यवस्था नहीं लागू नहीं की जानी चाहिए।

         छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से धान खरीदी शुरु होगी।

उन्होंने कहा कि बायोमेट्रिक को भारत सरकार ने अनिवार्य कर दिया है और कारण बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में जो खरीदी की व्यवस्था है, वो सबसे बढ़िया है। सीएम ने कहा कि यूपी इलेक्शन के दौरान उन्होंने वहां की धान खरीदी व्यवस्था देखी और ठंड के दिनों में वहां किसान 1200 रु में धान बेच रहे थे। लेकिन कौन खरीदता है, कौन बेच रहा है पता नहीं चलता जबकि छत्तीसगढ़ के धान खरीदी की व्यवस्था सबसे बढ़िया है।

सीएम ने बताया कि प्रदेश में किसानों के धान खरीदने के लिए उनको आधार कार्ड से लिंक किया गया है। पिछले साल 107 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की लेकिन ना बारदाने की कमी आई, ना ट्रांसपोर्टिंग में और ना ही धान के उठाव में कोई परेशानी आई। इसके बावजूद भी पता नहीं छत्तीसगढ़ सरकार के साथ केंद्र सरकार की कौन सी दुश्मनी है? क्या दुर्भावना है कि चावल का कोट 86 लाख मीट्रिक टन से 61 लाख कर दिए हैं और बायोमेट्रिक व्यवस्था कर दी गई है। सीएम बोले की केन्द्र ने कहा कि अगर बायोमेट्रिक व्यवस्था नहीं होगी, तो केन्द्र छत्तीसगढ़ से चावल नहीं खरीदेगी। यह धमकी ठीक उसी तरह है, जब पहले कहा गया था कि अगर आप धान पर बोनस समर्थन मूल्य से 1 रु. भी ज्यादा दोगे तो आपका चावल नहीं खरीदेंगे। जबकि रमन सिंह के समय 2013 तक ऐसा हुआ ही नहीं, उन्होंने अच्छे से धान खरीदी की क्योंकि उस समय मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे लेकिन जब से डबल इंजन की सरकार आई तो सबसे पहले अपने बोनस बंद कर दिया। दूसरी बात ये कि धान खरीदी का जो रकबा 15 क्विंटल था, उसे रमन सरकार ने 10 क्विंटल कर दिया और हर साल आप रिकॉर्ड देख लीजिए 14-15 , 16-17 , 17-18। यह 55 से 59 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान खरीदी नहीं किए।

बीजेपी के चुनावी रथ में छत्तीसगढ़ महतारी की तस्वीर लगाई गई है।

जैसे हमारी सरकार आई अगले साल 80 लाख, 83 लाख फिर 92 लाख और 97 लाख मीट्रिक टन के बाद और पिछले साल 107 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया और अब इस साल 125 लाख टन का हमारा लक्ष्य है। तो कौन किस के साथ खड़ा है यह छत्तीसगढ़ की जनता देख रही है।
केन्द्र सरकार ने जब आदेश निकाला कि आप समर्थन मूल्य से 1 रु. से ज्यादा नहीं देंगे तभी राज्य सरकार को राजीव गांधी किस न्याय योजना लाना पड़ा और अभी फिर आदेश आ गया कि 86 लाख की जगह 61 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदेंगे और बायोमीट्रिक व्यवस्था होनी चाहिए। तो यह किसानों के साथ भेदभाव भी है और मैं सीधा कहूंगा भारतीय जनता पार्टी किसानों के साथ दुश्मनी निकाल रही है।

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