राजधानी में पत्रकारों पर लगातार हमले होने से और हमलावरों पर पुलिस प्रशासन द्वारा सख्त और त्वरित कार्यवाही नहीं होने से प्रशासन पर सवाल खड़े होने लगे ,,,पत्रकार निकिता आर जशवानी….
Due to continuous attacks on journalists in the capital and lack of strict and prompt action by the police administration against the attackers, questions started being raised on the administration, Nikita R Jashwani....
The Narad News 24,,,,रायपुर। राजधानी में पत्रकारों पर लगातार हमले होने से और हमलावरों पर पुलिस प्रशासन द्वारा सख्त और त्वरित कार्यवाही नहीं होने से प्रशासन पर सवाल खड़े होने लगे हैं। रायपुर में एक महिला पत्रकार द्वारा कवरेज से रोकने हेतु जानलेवा हमला का मामला सामने आया है। मामले के बाद जिस तरह से शाम से देर रात तक बीत जाने के बाद भी थाना प्रभारी द्वारा आवेदन नहीं लिया गया बल्कि हील हवाला देकर पत्रकारों को ही प्रताड़ित किया गया वो भी काफी हैरान कर देता है। सवाल उन सभी पत्रकार संगठनों पर उठ रहा है कि जो पत्रकारों की सुरक्षा की बातें करते हैं। आखिरकार एक भी पत्रकार संगठन ने मामले पर अपनी प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी। अगर राजधानी में ही इस तरह की घटनाएं होंगी तो पत्रकार कैसे सुरक्षित हो सकेगा। सरकार भी लगातार पत्रकारों की सुरक्षा के दावे करती हैं लेकिन इस तरह की घटनाएं होने से सरकार के दावे पूरी तरह से खोखले साबित प्रतीत होने लगते हैं।
क्या है मामला :
टाटीबंध से बिलासपुर जाने वाले बायपास रोड पर HP पेट्रोल पंप से लगा हुआ एक यार्ड है। जहां लोहा काटकर बेचने की सूचना कुछ पत्रकारों पर मिली जिसकी छानबीन करने कुछ पत्रकार उस यार्ड पर पहुंचे। पत्रकारों ने उनसे बात करनी चाही लेकिन उनके द्वारा दरवाजा नहीं खोला गया और पत्रकारों द्वारा मौके पर ही वीडियो बनाया गया। जहां एक वर्कर गैस कटर से लोहा काट रहा था। इस यार्ड में करीब 20 से 25 वर्कर मौजूद थे, जिसका वीडियो भी ट्रक पर चढ़कर लोहा काटते हुए बनाया गया। इसके बाद यार्ड का ही एक मालिक बाहर आया और अभद्र गालीगलौच कर डंडे से पत्रकारों पर वार कर दिया, जहां एक महिला पत्रकार बेहोश होकर गिर पड़ी। फिर भी उस यार्ड मालिक द्वारा लगातार डंडे से सभी पत्रकारों को मारना शुरू कर दिया। पत्रकारों ने कहा भी कि हमको सूचना मिली है आप बात करिए, झगड़े लड़ाई की कोई बात ही नहीं है। लेकिन उस यार्ड मालिक द्वारा पत्रकारों की कोई बात नहीं सुनी गई और लगातार लकड़ी के मोटे दंडों से सभी पत्रकारों पर वार किया गया। यहां तक कि महिला पत्रकार का मोबाइल भी यार्ड मालिक द्वारा छीन कर रख लिया गया और यह धमकी भी दी गई कि दुबारा यहां आए तो जान से मारकर यही गाड़ दिया जायेगा।
वही इस मामले की सूचना कबीर नगर थाने में दी गई तो उनके द्वारा यह मामला आमनाका थाना क्षेत्र अंतर्गत बताया गया। जब आमानाका थाने गए तो वहां 2 साथियों को मुलायजा के लिए एम्स हॉस्पिटल भेजा गया। फिर अचानक से उनके द्वारा बताया गया कि यह मामला उरला थाना क्षेत्र अंतर्गत आता है। जब पत्रकार और उनके साथियों ने उरला थाना प्रभारी को इसकी सूचना देते हुए आवेदन लिख कर दिया गया तो उनके कोई सुनवाई नहीं की गई। उल्टे थाना प्रभारी द्वारा मामले का सेटलमेंट करो नहीं तो तुम्हारी जान भी जा सकती है कहकर पत्रकारों का आवेदन थाना प्रभारी द्वारा नहीं लिया गया और यह भी कहा कि आवेदन से पत्रकार शब्द को हटाओ। जिससे स्पष्ट होता है कि मामले में पुलिस प्रशासन की मिलीभगत उजागर होती है।
महिला पत्रकार का मोबाइल थाने में आकर यार्ड के ड्राइवर द्वारा दिया गया, लेकिन ड्राइवर से भी कोई पूछताछ थाने में नहीं की गई और उसे मोबाइल लेने के बाद वापस भेज दिया गया। बता दें कि महिला पत्रकार जिसका मोबाइल छीना गया था उसे वापस करने जब यार्ड का ड्राइवर थाने पहुंचा तो उसे भी मोबाइल लेकर थाने से वापस भेज दिया गया और कोई भी पूछताछ यार्ड ड्राइवर से थाने में नहीं की गई।
इस बात से यह भी स्पष्ट जाहिर है कि पुलिस प्रशासन की भूमिका भी संदिग्ध है, और उनके भी संरक्षण में यह कार्य धड़ल्ले से किया जा रहा है। उरला थाना में सुनवाई नहीं होने के बाद अब सभी पत्रकार रायपुर SP से मामले की शिकायत भी की गई, बताया जा रहा।